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मेरी नज़र में
ना कोई हिन्दू है ,
ना मुसलमान है।
पेट में कुछ खाने के लिए
दर-ब-दर
भटकते हुए को
गर एक निवाला भी खिलाया
और उसकी आंख की
उस गीली कोर को
अपने अंगूठे से पोंछने
का साहस जिसने जुटाया
सच में
#वहीं_इंसान_हैं।
टूटे फूटे शब्द
#बस_यूं_ही !!
✍️~विकास
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