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Wednesday 19 August 2020

विश्व फोटोग्राफी दिवस

#WorldPhotographyDay

काफी देर से कमरे पर मैं अकेला था, रूम पार्टनर एक मिलने वाले को अस्पताल में खाना देने गया हुआ था और मालिक साहब कहीं बाहर गये हुए थे। मैं मकान पर अकेला था मुझे अचानक बारिश की बूंदों की हल्की-हल्की आवाज आई तो मैं खड़ा होकर बाहर गया देखा तो बारिश ठीक-ठाक आ रही है। मै फटाक से छत पे सूखते कपड़ो को लेने गया और कपड़ों को नीचे लाकर आगे वाले रूम में सुखा दिया। मैं पानी पीकर बाहर आने वाला ही था कि इतने में साइड वाले छोटे गेट के बाहर सीढ़ियों पर एक छोटा बच्चा बैठा हुआ है मै बिना पानी पिए गेट की ओर बढ़ता हुआ है बोला 'बाहर क्यूं बैठा है भाई अंदर आजा' बरसात आ गई इसलिए बैठा हूं, बच्चे ने कहा। शायद उसने मेरी बात बरसात की आवाज मे ठीक से सुनी नहीं और सोचा होगा कि बैठने से मना कर रहा है शायद, जैसा आजकल अक्सर होता है।
मैंने पास जाकर गेट खोला और फिर कहा भाई अंदर आजा। उसने फिर मना किया और बोला यहीं ठीक हूं। मेरे एक दो बार जिद करने पर वह अंदर आ गया और अंदर सीढ़ियों की पहली सीढ़ी पर बैठ गया। मैं उससे नीचे बैठ गया।
कहां जा रहे थे..? मैंने पूछा।
लकड़ी बीनने, बच्चे ने उत्तर दिया। 
फिर कुछ देर तक हम दोनों शांत बैठे रहे।
लगभग एक मिनट बाद पानी पियोगे.? मैंने पूछा।
नहीं के जवाब में बच्चे ने सिर हिलाया।
शरमाना मत प्यास हो तो बोल देना, मैंने कहा।
बारिश होती है तब तक यहीं बैठ बाद मे चले जाना।
कहां रहते हो..? मैंने फिर पूछा।
यहीं....जगन्नाथ मंदिर।
पूरे दिन लकड़ी बीनते हो या सुबह शाम.?
हां.....कभी-कभी दोपहर में भी बीन लेता हूं।
और कौन हैं घर में.?
दो छोटी बहनें, मां-पापा।
खाना बनाने के लिए गेंहू/आटा कहां से लाते हो.? मैंने यूं ही पूछ लिया।
मांगकर, बच्चे ने उत्तर दिया।
फिर हम दोनों चुपचाप बैठे हो रही बारिश को निहारते रहे।
 बैठे-बैठे मुझे अचानक याद आया कि आज #विश्व_फोटोग्राफी_दिवस है।
मेरा मन हुआ सेल्फी लूं फिर खयाल आया कभी बच्चा गलत सोचे हालांकि मैं बस एक हसीन मुलाकात को कैमरे में कैद करना चाह रहा था।
अंततः मैंने सेल्फी ना लेने का फैसला किया।
वह सीढ़ियों में बैठा बाहर की ओर बारिश को इस तरह देख रहा था कि ये कब रूकेगी। मैंने अचानक उसका एक फोटो क्लिक किया जो आपके साथ साझा कर रहा हूं। यह फोटो आज तक मेरे द्वारा ली गई बेस्ट तस्वीरों में से एक बन गया। 
कुछ देर बात करते रहे बारिश थम सी गई बस हल्की-हल्की फुहार आ रही थी वह खड़ा हुआ और बोला भैया अब जाता हूं।
एक मिनट रुको, मैंने कहा।
मैं लगभग दो-ढ़ाई किलो आटा लाया और पूछा ले जाएगा.?
बच्चे ने हां में जवाब दिया।
बस एक बहुत बड़ा मलाल यह रहेगा कि मैंने बातो-बातो में उसका नाम नहीं पूछा जो कि शायद शुरू में ही पूछ लेना था।
खैर बच्चा आटे की पॉलीथीन को और साथ में लकड़ी बीनने लाए कट्टे को कंधे पे लटकाकर चला गया।

एक याद, एक बेहतरीन मुलाकात छोटे।

Saturday 30 May 2020

🔘 बचपन 🔘

चॉकलेट कहां से देंगी वो सुकून
जो बचपन में गांव की-
सोंधी माटी खाने से मिलता था।

हालांकि किसी कारणवश 
जल्दी हो जाए छुट्टी स्कूल की,
लेकिन मजा तो लंच में-
भागने में ही आता था।

यूं तो आज बाईक से-
घूम लेते हैं यहां से वहां,
लेकिन मजा तो टायर से सारे गांव-
के चक्कर लगाने में ही आता था।

मामूली सी बात पर टूट जाते हैं
अब रिश्ते,
तब रोज लड़ के भी खेलने में मजा 
एक साथ ही आता था।

मां कहती थी कि खाना तो खाता जा,
भागते हुए ये कहना कि अभी आता हूं
और फिर पूरे दिन गुम हो जाता था।

पैसे से अमीर तो नहीं, पर हां
दिल से बड़े अमीर थे। क्योंकि
पास गर एक टॉफी हो तो उसे भी-
बांटकर खाने में मजा आता था।

खेलते वक्त चोट भी आ जाये तो
तो बहते खून को तुरंत-
माटी लगाकर रोकना बखूबी आता था।

अब तो सुबह-शाम मिल जाती है
स्वादिष्ट सब्जियां,
लेकिन तब चटनी से खाने में भी-
गजब का स्वाद आता था।

भले ही अब रोज ज्यूस पी लेते हैं
लेकिन तब एक केला भी कोई-
रिश्तेदार आने पर मिल पाता था।

आज दोस्त बोलते हैं अच्छा लिखते हो
लिखने में मजा तो आता होगा-
मैं अक्सर कहता हूं लिखने में तो आता है
लेकिन उससे ज्यादा मुझे मेरी औकात
याद करने में आता है।
क्योंकि समय-समय पर औकात याद कर ली जाए
तो इंसान, इंसान बना रहता है।

#बस_यूं_ही

✍🏻-विकास

District Collector and District Magistrate Of Alwar (Rajasthan)

OCTOBER 2022 Currently IAS/DM(District Magistrate) Of Alwar(Rajasthan) -   Dr Jitendra Kumar Soni डॉ. सोनी अलवर से पहले NHM(Nati...