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मार दिया करता था
पिता कभी-कभार
ना चाहते हुए भी
अपने बच्चे को-
इसलिए
कि हर चीज की जिद
करता है वो...
क्षणिक
तस्सली दे अपने मन को
अपने आप को कोंदता और
बचपन को कुरेदता....
और नम आंखों को छुपाकर
फिर काम पे लग जाता
ये मुफ़लिस जिंदगी में पसीने
के साथ जीवन का एक हिस्सा
बह जाता है।
✍🏻≈विकास
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