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Saturday, 22 October 2022

District Collector and District Magistrate Of Alwar (Rajasthan)

OCTOBER 2022

Currently IAS/DM(District Magistrate) Of Alwar(Rajasthan)- Dr Jitendra Kumar Soni


डॉ. सोनी अलवर से पहले NHM(National Health Mission) के निदेशक, जिला कलेक्टर नागौर, जिला कलेक्टर जालौर और जिला कलेक्टर झालावाड़ रह चुके हैं।

डॉ सोनी को भारतीय जीवन रक्षा पदक, साहित्य अकादमी पुरस्कार व कई बड़े पुुरस्कार/सम्मान मिल चुके हैंं। 




Sunday, 16 October 2022

SMILE Project Rajasthan

SMILE (Social Media Interface For Learning Engagement)
प्रोजेक्ट राजस्थान में शिक्षा से संबंधित है। Covid काल शिक्षा से निरंतर रूप से चलाने के लिए यह प्रोजेक्ट राजस्थान सरकार द्वारा चलाया गया।

Smile के 3 चरण है।
पहला चरण- 13 अप्रैल 2020
दूसरा चरण- 02 नवंबर 2020
तीसरा चरण- 21-जून-2021

IMPORTANT for REET Exam 2022 

Wednesday, 2 December 2020

REGMAL | | रेगमाल

JKBook | पुस्तक- रेगमाल | Regmal

Writer | लेखक- डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी(IAS)

Publisher | प्रकाशन- Vijya Books Delhi

रेगमाल एक हिंदी कविता संग्रह है। इसमें कुल 59 कविताएं हैं।

भूमिका:-

कई दशकों से यह कहा जा रहा है कि हमारा समय कविता का समय नहीं है जबकि कविता का कोई विशेष समय नहीं होता : हर समय कविता का समय है और अक्सर कविता समयविद्ध होकर समयातीत की ओर जाती है जो एक स्वाभाविक मानवीय आकांक्षा का हिस्सा है। कई बार यह हमारे ध्यान में नहीं आता कि कविता ही वह प्रकार है जो अच्छे बुरे दिनों में हमारा साथ देती है : कविता ने मनुष्य का साथ कभी नहीं छोड़ा अगर कौशल की दृष्टि हो तो जीने का हर मुकाम, पूरा पड़ोस, लोग-बाग, पशु-पक्षी, वनस्पतियां, नदी-पर्वत, जंगल, ब्रह्मांड आदि सभी कविता में बांधे जा सकते है। कविता ने अपने लंबे इतिहास में ऐसा साहस किया है। वह साक्षी भी रही है और सहचर भी।
                जितेंद्र कुमार सोनी के काव्य प्रयत्न को व्यापक संदर्भ में देखने की ज़रूरत है। उनका रेंज काफी फैला हुआ है। टटकी छबियों से लेकर गंभीर सोच-विचार और जटिल भावों तक। ऐन्द्रियों से लेकर सपाटबयानी तक। वे अपने पर्यावरण से रूप-रस-गंध उधार लेने की विनम्रता दिखाते हैं और उसके लगातार हो रहे नाश पर कविता में विलाप भी। कुल मिलाकर एक संवेदनशील व्यक्ति की चौकन्नी नागरिकता का यह संग्रह एक दस्तावेज है।
            हो सकता है कि हमारा समय, दुर्भाग्य से, ऐसा हो गया हो कि वह कविता पर ध्यान नहीं देता। तब भी कविता को इस समय, उसकी विडम्बनाओं और जटिलताओं, मानवीय ऊष्मा आदि पर ध्यान देने से चूकना नहीं चाहिए। यह कविता की अनिवार्य अभिशप्त नैतिकता है और सौभाग्य से हमारे युवा कवि यह कर्त्तव्य निभा रहे हैं। जितेंद्र कुमार सोनी को उस बिरादरी में गिना जाना चाहिए।

-अशोक वाजपेयी


डॉ सोनी की कविताएं कोई बड़े-बड़े विषयों पर आधारित नहीं है। छोटी-छोटी कविताओं में बहुत गहराई है जिसे पढ़कर आपको वह अपनापन महसूस होगा जो अपनापन डॉ सोनी को अपनी माटी से। इस कविता संग्रह को पढ़कर आप यह जरूर सोच सकते हैं कि अगर इंसान के अंदर सकारात्मकता है तो हम छोटी-छोटी चीजों को सहेजकर उन्हें अपनी यादों में संजोकर, कविता में पिरोकर अलग ही आनंदानुभूति महसूस कर सकते हैं।
हम छोटी-छोटी बातों को लेकर निराश हो जाते हैं लेकिन डॉ सोनी छोटी-छोटी चीजों में आशा ढूंढ लेते हैं। अगर आप भी हर चीज में निराशा पाते हैं और यह सोचते हैं कि हर चीज को देखने का नजरिया किस तरह से बदला जाए वह सकारात्मकता कहां से लाई जाए जो एक सकारात्मक इंसान बनने के लिए हमें चाहिए वो संवेदनशीलता जो आपको औरों से अलग बनाती है। 
अगर आप रेगमाल पढ़ते हैं तो अपने आप को बहुत हद तक सकारात्मक पाओगे और आपका सोचने का कुछ नजरिया जरूर चेंज होगा।


रेगमाल की कविताएं:-

1. निब
2. पसीना और शब्द
3. रेगमाल
4. स्वेटर
5. थोड़ा-सा रह गया जो
6. तुम्हारा होना
7. हौसला
8. घरोंदे,अंगारे और तारे
9. लाल डिब्बा
10. बिना हर्फ़ के
11. और दुनिया कहती है
12. बेनज़ीर
13. बहन
14. आसमान
15. समानुपाती रिश्ता
16. दामिनी-एक
17. दामिनी-दो
18. दामिनी-तीन
19. दामिनी-चार
20. दामिनी-पांच
21. इतिहास
22. शंखनाद-एक
23. शंखनाद-दो
24. लकड़हारे फिर लौट आए
25. धूप का एक टुकड़ा
26. थार थोर और थिर
27. घड़नाल, भुने चने और रोटी
28. खमेर रूज
29. रूदाली
30. सीप
31. चूल्हा
32. मश़्क
33. पर सवाल अभी जिंदा है
34. यूटोपिया
35. थार के संत
36. पिंजारे
37. मेरा परिचय
38. मिसले और मिसालें
39. आंख में अटका आंसू
40. बीरबहूटी
41. मरता हुआ आदमी
42. आशा
43. चुप्पियों के दरख़्त
44. फ़र्क़
45. मक्की भूलने वाली महिलाएं
46. बस पानी का गिरना भर ना हो
47. नकार का साहस
48. अबाबीलें
49. सीरियाई बच्चे-एक
50. सीरियाई बच्चे-दो
51. अशेष अथाह प्रेम के साथ
52. कनेर और बोगनवेलिया
53. पसीने की कद्र होने तक
54. संभावनाएं और उम्मीदें
55. चुभता है यह सच
56. बिजूके
57. अमीबा और हाइड्रा
58. वंचनाओं की प्रशस्ति
59. कीमियागिरी

रेगमाल से एक कविता:- रेगमाल


ज़िन्दगी
जब रेगमाल हो जाती है
तो ख़याल खुरदुरे,
सवाल कुंद
और इरादे बुलंद हो जाते हैं
इस बुलंदी तक
क़द करने में
पसीना बहाने से लेकर
जिस्म बेचने
या ज़मीर और रहन रखने तक
मजबूरियां,
जरूरतें
और हसरतें
सिखा जाती हैं
बहुत कुछ।

रंगदार होने से तो
रेगमाल हो जाना
हमेशा अच्छा होता है।

लेखक के बारे में:-

डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी

जन्म:- 29 नवम्बर 1981 हनुमानगढ़ (राजस्थान) के धन्नासर गांव में।
वर्तमान में नागौर जिले में बतौर जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट पद पर कार्यरत हैं।


डॉ. जितेंद्र सोनी जी की अन्य कृतियां:-

१. उम्मीदों के चिराग (काव्य-संग्रह)
२. यादावरी(डायरी)
३. रणखार(राजस्थानी काव्य संग्रह) रणखार के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिल चुका है।
४. एडियोस(कहानी संग्रह)
५. पंजाबी के मशहूर कवि हरिभजन सिंह 'रेणू' के काव्य संग्रह का पंजाबी से राजस्थानी में अनुवाद।
६. रस्किन बांड के साहित्य अकादमी से पुरस्कृत अंग्रेजी कहानी संग्रह का राजस्थानी में अनुवाद।
७. डॉ मनमोहन सिंह के साहित्य अकादमी से पुरस्कृत पंजाबी उपन्यास निर्वाण का हिंदी अनुवाद।
८. केंद्रीय और राज्य सेवा के प्रशासनिक अधिकारियों की हिंदी कविताओं के संग्रह कविता परस्पर और शिक्षा विभाग राजस्थान के लिए हिंदी काव्य संग्रह शब्दों की सीप का संपादन।
डॉ सोनी लेखन के अलावा फोटोग्राफी साइकिलिंग और घुमक्कड़ी करते हैं।

किताब अमेजन पर उपलब्ध है- Regmal Book

इसी तरह की रोचक किताबों, लेखकों, कहानियों, कविताओं के बारे में जानने के लिए विजिट करें हमारी वेबसाइट- Hindi Sahitya Darpan









Wednesday, 19 August 2020

विश्व फोटोग्राफी दिवस

#WorldPhotographyDay

काफी देर से कमरे पर मैं अकेला था, रूम पार्टनर एक मिलने वाले को अस्पताल में खाना देने गया हुआ था और मालिक साहब कहीं बाहर गये हुए थे। मैं मकान पर अकेला था मुझे अचानक बारिश की बूंदों की हल्की-हल्की आवाज आई तो मैं खड़ा होकर बाहर गया देखा तो बारिश ठीक-ठाक आ रही है। मै फटाक से छत पे सूखते कपड़ो को लेने गया और कपड़ों को नीचे लाकर आगे वाले रूम में सुखा दिया। मैं पानी पीकर बाहर आने वाला ही था कि इतने में साइड वाले छोटे गेट के बाहर सीढ़ियों पर एक छोटा बच्चा बैठा हुआ है मै बिना पानी पिए गेट की ओर बढ़ता हुआ है बोला 'बाहर क्यूं बैठा है भाई अंदर आजा' बरसात आ गई इसलिए बैठा हूं, बच्चे ने कहा। शायद उसने मेरी बात बरसात की आवाज मे ठीक से सुनी नहीं और सोचा होगा कि बैठने से मना कर रहा है शायद, जैसा आजकल अक्सर होता है।
मैंने पास जाकर गेट खोला और फिर कहा भाई अंदर आजा। उसने फिर मना किया और बोला यहीं ठीक हूं। मेरे एक दो बार जिद करने पर वह अंदर आ गया और अंदर सीढ़ियों की पहली सीढ़ी पर बैठ गया। मैं उससे नीचे बैठ गया।
कहां जा रहे थे..? मैंने पूछा।
लकड़ी बीनने, बच्चे ने उत्तर दिया। 
फिर कुछ देर तक हम दोनों शांत बैठे रहे।
लगभग एक मिनट बाद पानी पियोगे.? मैंने पूछा।
नहीं के जवाब में बच्चे ने सिर हिलाया।
शरमाना मत प्यास हो तो बोल देना, मैंने कहा।
बारिश होती है तब तक यहीं बैठ बाद मे चले जाना।
कहां रहते हो..? मैंने फिर पूछा।
यहीं....जगन्नाथ मंदिर।
पूरे दिन लकड़ी बीनते हो या सुबह शाम.?
हां.....कभी-कभी दोपहर में भी बीन लेता हूं।
और कौन हैं घर में.?
दो छोटी बहनें, मां-पापा।
खाना बनाने के लिए गेंहू/आटा कहां से लाते हो.? मैंने यूं ही पूछ लिया।
मांगकर, बच्चे ने उत्तर दिया।
फिर हम दोनों चुपचाप बैठे हो रही बारिश को निहारते रहे।
 बैठे-बैठे मुझे अचानक याद आया कि आज #विश्व_फोटोग्राफी_दिवस है।
मेरा मन हुआ सेल्फी लूं फिर खयाल आया कभी बच्चा गलत सोचे हालांकि मैं बस एक हसीन मुलाकात को कैमरे में कैद करना चाह रहा था।
अंततः मैंने सेल्फी ना लेने का फैसला किया।
वह सीढ़ियों में बैठा बाहर की ओर बारिश को इस तरह देख रहा था कि ये कब रूकेगी। मैंने अचानक उसका एक फोटो क्लिक किया जो आपके साथ साझा कर रहा हूं। यह फोटो आज तक मेरे द्वारा ली गई बेस्ट तस्वीरों में से एक बन गया। 
कुछ देर बात करते रहे बारिश थम सी गई बस हल्की-हल्की फुहार आ रही थी वह खड़ा हुआ और बोला भैया अब जाता हूं।
एक मिनट रुको, मैंने कहा।
मैं लगभग दो-ढ़ाई किलो आटा लाया और पूछा ले जाएगा.?
बच्चे ने हां में जवाब दिया।
बस एक बहुत बड़ा मलाल यह रहेगा कि मैंने बातो-बातो में उसका नाम नहीं पूछा जो कि शायद शुरू में ही पूछ लेना था।
खैर बच्चा आटे की पॉलीथीन को और साथ में लकड़ी बीनने लाए कट्टे को कंधे पे लटकाकर चला गया।

एक याद, एक बेहतरीन मुलाकात छोटे।

Saturday, 30 May 2020

🔘 बचपन 🔘

चॉकलेट कहां से देंगी वो सुकून
जो बचपन में गांव की-
सोंधी माटी खाने से मिलता था।

हालांकि किसी कारणवश 
जल्दी हो जाए छुट्टी स्कूल की,
लेकिन मजा तो लंच में-
भागने में ही आता था।

यूं तो आज बाईक से-
घूम लेते हैं यहां से वहां,
लेकिन मजा तो टायर से सारे गांव-
के चक्कर लगाने में ही आता था।

मामूली सी बात पर टूट जाते हैं
अब रिश्ते,
तब रोज लड़ के भी खेलने में मजा 
एक साथ ही आता था।

मां कहती थी कि खाना तो खाता जा,
भागते हुए ये कहना कि अभी आता हूं
और फिर पूरे दिन गुम हो जाता था।

पैसे से अमीर तो नहीं, पर हां
दिल से बड़े अमीर थे। क्योंकि
पास गर एक टॉफी हो तो उसे भी-
बांटकर खाने में मजा आता था।

खेलते वक्त चोट भी आ जाये तो
तो बहते खून को तुरंत-
माटी लगाकर रोकना बखूबी आता था।

अब तो सुबह-शाम मिल जाती है
स्वादिष्ट सब्जियां,
लेकिन तब चटनी से खाने में भी-
गजब का स्वाद आता था।

भले ही अब रोज ज्यूस पी लेते हैं
लेकिन तब एक केला भी कोई-
रिश्तेदार आने पर मिल पाता था।

आज दोस्त बोलते हैं अच्छा लिखते हो
लिखने में मजा तो आता होगा-
मैं अक्सर कहता हूं लिखने में तो आता है
लेकिन उससे ज्यादा मुझे मेरी औकात
याद करने में आता है।
क्योंकि समय-समय पर औकात याद कर ली जाए
तो इंसान, इंसान बना रहता है।

#बस_यूं_ही

✍🏻-विकास

Tuesday, 26 May 2020

🔘 थप्पड़ 🔘

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मार दिया करता था
पिता कभी-कभार
ना चाहते हुए भी
अपने बच्चे को-
इसलिए
कि हर चीज की जिद 
करता है वो...
क्षणिक
तस्सली दे अपने मन को
अपने आप को कोंदता और 
बचपन को कुरेदता....
और नम आंखों को छुपाकर
फिर काम पे लग जाता
ये मुफ़लिस जिंदगी में पसीने
के साथ जीवन का एक हिस्सा 
बह जाता है।

✍🏻≈विकास

Sunday, 17 May 2020

🔘 प्रेम-कहानी🔘

जून का महीना, तपती धूप, ढ़लता सूरज
बासी रोटी के साथ अचार और गुड़धानी,
जो खाई थी कभी तेरे निवाले के साथ,
बैठकर जिस वृक्ष के नीचे-
तेरे साथ गुजरी वो हर शाम सुहानी थी,

यूं तो अब भी बैठ जाता हूं,किसी पेड़ की छांव में-
मगर हम बैठे थे जहां उस पेड़ की छांव सुहानी थी,
अटक गई थी उस पेड़ की कंटीली शाख में
वो मनमोहक नायाब तेरी चुनरी आसमानी थी

यूं तो अब भी रात गुजरती है तारों को निहारकर
पर जो तेरी अंक में गुजरी वो रात रूहानी थी
काफी सफ़र किया, बिना हमसफ़र के-
लेकिन उस सफ़र की हर बात बेमानी थी

बहुत मिले अनायास इस रंगीन दुनिया में,
छोड़ दिए वो सब जिनकी सोच अफ़्सानी थी
तो कैसी लगी दोस्तों आपको मेरी रचना
ये हक़ीकत नहीं एक कल्पित प्रेम-कहानी थी।

✍️- Vikas Meena

District Collector and District Magistrate Of Alwar (Rajasthan)

OCTOBER 2022 Currently IAS/DM(District Magistrate) Of Alwar(Rajasthan) -   Dr Jitendra Kumar Soni डॉ. सोनी अलवर से पहले NHM(Nati...